journey upleta to Ahmedabad

           सफर उपलेटा से अहमदाबाद का

          कहने को तो है ये ३५०किलो मीटर का छोटासा सफर है पर कई बार कई लोगो के लिए ये जिंदगी बदल देने वाला सफर हो जाता है। यू तो बेटिया पराई होती है पर ये छोटासा सफर बेटो को भी पराया कर देता है। पराया होनेका दुःख तो होता ही है पर परिवार का भला सोच के पराया होने का दुःख कम लागत है। अहमदाबाद जहा लोग सपनो की उड़ान भरते है। जैसे पंछी अपने बच्चों को उड़ना सीखाता है वैसे ही कई माँ-बाप अपने दिल पर पथ्थर रखके अपने बच्चों से ये सफर तैय करवाके अपने बच्चों को उड़ना सीखाते है। जहा कोई छिद पूरी कर देने वाला नही होता,जहा कोई काम कर देने वाला नही होता,जहा गिरके भी कूद खड़ा होना शिखन पड़ता है।

          ऐसे ही मेरा भी सफर सुरु हुआ था २६ जून २०१७ को यू तो में कई बार अहमदाबाद आ चुका था पर उस दिन जब में १२कॉमर्स पास करके अपनी आगे की पढ़ाई करने अहमदाबाद में रहने आया तभी सही मायनो में ये सफर का अहेसास हुआ। अहमदाबाद आना तो मेरा सपना था पर मेने सोचा ना कि "में अपने सपने के पास आते ही हक्कीकत से दूर हो जाऊँगा"। पर अब मेरा सपना ही मेरी हक्कीकत है। पेकिंग भी हो चुकी जाने की थोड़ी खुशी भी थी ओर परिवार को छोड़ने का दुःख भी था। घर वाले खुशी जाता रहे थे पर मेरे चले जाने का दुःख खुदसे ही बात रहे थे। सब का दुःख दिख रहा था पर बोल ने पे में कूद भी टूट जाता इसलिए मेंने अपना सामान उड़ाया ओर विदा लेते निकल ने लगा तभी पाप पूछते हुए ''कुछ चाइये तो नही लेके दु कुछ'' में बार बार मना करता गया तभी माँ बोलती है '' ध्यान रखना ज्यादा बहार का खान मत खाना'' मेरे घर के बाहर कदम रखते है कोई अपने आपको रोक न सके और माँ और छोटी माँ रो पड़े। पर फिर भी पाप जाने कैसे अपने पर काबू रखें थे। उस समय पता चला की हिमत वाला वो होता है जो आपने दुःख को हसते हुए पी जाता है।

           सफर शुरू हो गया में अहमदाबाद पहोंच भी गया। जब पहली बार अपने कपड़े अपने हाथों से धोएं ओर जाडु निकाल ना ओर सारे आदि काम जो मेने कभी नही किये वो करने पड़े तब मुझे पता चला कि सफर तो अब शरू हुआ था। कहने को थो था सफर छोटा पर ये वो सफर है जो अभी तक चल रहा है।

                                                                                                                                         Tejas Rajpara

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